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Thursday, March 31, 2011

फिल्म और टी.वी हस्तियों पर निशाना

नई  दिल्ली. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने फिल्म और टी.वी हस्तियों के आयकर निर्धारण और वसूली में अनेक त्रुटियां पाए जाने पर आयकर विभाग की खिंचाई करते हुए कहा है कि इससे सरकार को भारी राजस्व का घाटा उठाना पड़ा है। संसद के हाल में सम्पन्न बजट सत्र में कैग की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई जिसमें कहा गया है कि फिल्म और टी.वी उद्योग में विकास तो हो रहा है पर उनके द्वारा अर्जित सम्पत्ति पर सही ढंग से कर नहीं लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार समय आवंटन और प्रसारण शुल्क की बिक्री के समय कर नहीं कर नहीं काटा गया। हालांकि प्रचार क्षेत्र के कुल राजस्व का लगभग 40 प्रतिशत टी वी उद्योग से आता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयकर विभाग के पास राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम तथा अन्य प्रोत्साहन समितियों द्वारा फिल्म निर्माताओं को दी गई सबसिडी और अनुदान की सूचना प्राप्त करने का कोई तंत्र नहीं है। उसके पास संभावित कर दाताओं की पहचान करने के लिए अन्य सरकारी विभागों अथवा राज्यों के राजस्व विभाग के साथ कोई समन्वय नहीं है। उदाहरणतया उडीसा फिल्म विकास निगम ने वित्त वर्ष 2008-09 में 25 फिल्म निर्माताओं को 67 लाख 97 हजार रूपए की सबसिडी दी पर किसी भी निर्माता ने आयकर विवरणी में उसका उल्लेख नहीं किया। जिससे सबसिडी राशि और फिल्म से अर्जित आय आयकर निर्धारण से बच गई। कैग की रिपोर्ट मे कहा गया है कि फिल्म और टीवी उद्योग से प्राप्त जानकारी का कर निर्धारण अधिकारियों ने जांच पड़ताल के दौरान बहुत ही कम इस्तेमाल किया गया। यह भी सामने आया कि फिल्म और टीवी से संबंधित गतिविधियों में कार्यरत सभी करदाताओं का कर निर्धारण एक यूनिट पर ही करने की दृष्टि से चार शहरों में विशेष फिल्म सर्किलों के बनाए जाने के बावजूद फिल्म से जुडे व्यक्तियों के मामलों का कर निर्धारण अन्य यूनिटों में भी हो रहा था। यह भी पता चला है कि फार्म 52.ए इस दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है क्योंकि इसमें उस व्यक्ति का पैन नहीं मांगा जाता है कि जिसे भुगतान किया जाता है। फिल्मों पर व्यय की समीक्षा के लिए फार्म 52.ए में अनिवार्य सूचना की प्राप्ति की समीक्षा के लिए विभाग मे कोई प्रणाली उपलब्ध नहीं थी. फार्म 52 ए फाईल न करनेझ्र देर से फाईल करने के लिए अधिकतर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। फार्म 52.ए में दी गई सूचना की जांच बहुत कम मामलों में ही की गई थी। अथवा उसका उपयोग किया गया था। फार्म 52 ए की प्राप्ति के बिना ही फिल्मों पर किए गए व्यय को स्वीकार कर लिया गया था। फार्म 52.ए की फाइलिंग से संबंधित धारा 285 बी के प्रावधान टी वी सीरियलों के निर्माताओं पर लागू नहीं किए गए थे।

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