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Sunday, October 9, 2011

भारतीय फिल्मों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग

इस्लामाबाद.(देश दुनिया). पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने स्थानीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए भारतीय फिल्मों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है। अखबार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बिना भारतीय फिल्मों को बैन किए पाकिस्तानी फिल्मों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। अखबार ने यह भी कहा है कि भारतीय फिल्में पाकिस्तानी युवाओं को दूषित कर रही हैं।  'द नेशन' ने अपने संपादकीय में कहा कि पाकिस्तान सरकार को सिने कलाकारों द्वारा भारतीय फिल्मों पर रोक लगाने की मांग की को गंभीरता से लेना चाहिए। संपादकीय में लिखा गया है कि पाकिस्तान में ऐसे सिनेमाघरों की तादाद बहुत ज्यादा है जो सिर्फ भारतीय फिल्में दिखाते हैं और पाकिस्तानी फिल्मों को कोई तवज्जों नहीं देते। यह भी कहा गया है कि भारतीय फिल्मों पर रोक न लगाकर हम उन्हें अपनी संस्कृति को बर्बाद करने का  मौका दे रहे हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान में 1965  में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जो 2008  में हटाया गया। लेकिन इस दौरान भी भारतीय फिल्मों के प्रति पाकिस्‍तानियों की दीवानगी में कोई कमी नहीं आई। पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रति दीवानगी का आलम यह है कि शायद ही कोई शहर ऐसा हो जहां भारतीय फिल्में न देखी जाती हैं। शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन घर-घर में पहचाने जाते हैं। ऐश्वर्या के प्रति दीवानगी भी ऐसे ही है जैसे भारत में है। पाकिस्तान में सिनेमाघरों के मालिक जहां भारतीय फिल्मों को तवज्जों देते हैं वहीं स्थानीय निर्माताओं का तर्क है कि इससे उनका काम मर रहा है। लाहौर से चलने वाली पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री (लॉलीवुड) भारत की तुलना में बहुत ही छोटे स्तर की है। द नेशन ने लॉलीवुड के कुछ निर्माताओं का हवाला देते हुए यह भी लिखा है कि पाकिस्तान के कुछ निर्माता भारतीय फिल्मों में पैसा लगाकर खूब दौलत कमा रहे हैं। इस संपादकीय में सरकार से यह मांग की गई है कि पाकिस्तान में न सिर्फ सिनेमाघरों बल्कि टीवी चैनलों पर भी भारतीय फिल्मों को बैन कर देना चाहिए क्योंकि इससे युवाओं का चरित्र भी दूषित हो रहा है।

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