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Wednesday, August 17, 2011

45 साल बाद हटी भारतीय फिल्मों पर पाबंदी

मुंबई. (देश दुनिया).  बांग्लादेश में 45 सालों के बाद भारतीय फिल्मों पर लगी पाबंदी हटी है। वहां की एक संस्था ने 12 भारतीय फिल्में इंपोर्ट की है, जिनमें से 3 बांग्ला और 9 हिंदी फिल्में हैं। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर पाबंदी लगा दी गई थी। पाकिस्तान में देखी जाती रहीं, लेकिन वह वीडियो तक ही सीमित रहा। हिंदी फिल्मों का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं हो सकता था। उन्हें थिएटर में नहीं रिलीज किया जा सकता था। दशकों के बाद यह पाबंदी हटी भी तो अनेक प्रकार की शर्ते लाद दी गई। सुना है कि अब हिंदी फिल्में उसी दिन वहां भी रिलीज हो जाती हैं। 1965 के युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की भावना ने जोर मारा। भारत की मदद से देश आजाद हुआ, लेकिन 1972 में स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री के दबाव में भारत समेत दक्षिण एशिया को सभी देशों की फिल्मों के आयात पर नए देश बांग्लादेश में पाबंदी लगा दी गई। तर्क यह था कि बांग्लादेश की फिल्मों के विकास और बाजार के लिए यह जरूरी है। कालांतर में बांग्लादेश की फिल्म इंडस्ट्री का हाल भी लगभग पाकिस्तान जैसा ही हुआ। सिनेमाघरों के मालिकों के दबाव और अपील के बाद पिछले साल 26 जनवरी को यह पाबंदी हटी, लेकिन कुछ लोगों ने फिर से आपत्ति की। लिहाजा फिर से जून में छह महीने के लिए पाबंदी लगा दी गई। अब एक अंतराल के बाद पाबंदी हटी है और 12 फिल्में आयात की गई हैं। इनमें बांग्ला भाषा में बनी जोर, बदला और संग्राम हैं। हिंदी फिल्मों की लिस्ट में शोले, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, धूम-2, डॉन (नई), वांटेड और 3 इडियट्स शामिल हैं। 


साभार दैनिक जागरण 

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