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Monday, July 18, 2011

किसी बोर्ड को फिल्म दिखाने की आवश्यकता नहीं

मुंबई. (देश दुनिया). फिल्मकार प्रकाश झा अपनी नई फिल्म 'आरक्षण' के प्रदर्शन से पहले इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को दिखाने के लिए तैयार नहीं हैं। जाति-आधारित आरक्षण पर बनी इस फिल्म का प्रदर्शन 12 अगस्त को होगा। प्रकाश झा ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि मुझे लोगों के ऐसे किसी भी बोर्ड को प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं है जो मेरी फिल्म पर फैसला सुनाना चाहते हों। बीते 30 सालों से फिल्में बना रहे एक फिल्मकार होने के नाते मुझे इस बात की जानकारी है कि फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति के लिए किस प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है। मैं उसी निर्धारित प्रक्रिया का पालन करूंगा। आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि फिल्म में सरकारी नौकरियों व शैक्षिक संस्थानों में सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के संवैधानिक प्रावधान को गलत ढंग से तो पेश नहीं किया गया है। झा ने पहले कहा था कि वह आयोग के साथ बैठकर फिल्म को लेकर उसकी शंकाओं को दूर करने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्होंने आयोग के लिए फिल्म का खास प्रदर्शन करने का विचार ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि देश के कानूनों के मुताबिक मुझे सेंसर बोर्ड (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड) के अलावा अन्य किसी बोर्ड या निकाय को अपनी फिल्म दिखाने की आवश्यकता नहीं है। झा ने कहा कि फिल्मों की समीक्षा और उसकी सामग्री के मुताबिक उसे ग्रेड देने व फिल्म के प्रदर्शन से सम्बंधित किसी प्रकार की चिंताओं या शंकाओं को फिल्मकार को बताने के लिए सेंसर बोर्ड का गठन किया गया है। सेंसर बोर्ड अकेला ऐसा निकाय है जिसे प्रदर्शन से पहले फिल्म दिखाने की आवश्यकता है। 'आरक्षण' में अमिताभ, सैफ अली खान, मनोज बाजपेयी,दीपिका , प्रतीक बब्बर और तन्वी आजमी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। अभी फिल्म को सेंसर बोर्ड की ओर से स्वीकृति दिया जाना बाकी है। झा ने कहा कि यदि सेंसर बोर्ड फिल्म की प्रदर्शन पूर्व समीक्षा के लिए आयोग को आमंत्रित करता है तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।

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