मुंबई. (देश दुनिया). भारतीय फिल्म उद्योग का राजस्व 2015 तक 56 प्रतिशत के इजाफे के साथ 12,800 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद है। फिलहाल यह आंकड़ा 8,190 करोड़ रुपये का है। उद्योग मंडल एसोचैम ने यह अनुमान लगाते हुए कहा है कि डिजिटलीकरण के साथ इस क्षेत्र की आमदनी में भी जोरदार इजाफा होगा। डिजिटल क्रांति भारत में फिल्मों के वितरण और प्रदर्शन पर नजर आ रही है। यह उद्योग 100 साल पूरे करने की ओर अग्रसर है और 2015 तक इसकी आमदनी बढ़कर 12,800 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है। उद्योग मंडल ने कहा कि 12,000 थियेटर स्क्रीन, 400 प्रोडक्शन घरानों, भारी दर्शक संख्या के साथ भारतीय फिल्म उद्योग फिल्मों की संख्या और टिकट के आकार के हिसाब से दुनिया में शीर्ष पर है।
एसोचैम ने कहा कि देश में हर साल 20 से ज्यादा भाषाओं में 1,000 फिल्में बनती हैं। उद्योग मंडल ने कहा है कि फिल्म वितरण के डिजिटलीकरण, मूवी ऑन डिमांड जैसी मूल्यवर्धित सेवाओं ने इस क्षेत्र में आमदनी के नए स्रोत खोल दिए हैं। उद्योग मंडल का कहना है कि फिल्म उद्योग की कुल आमदनी में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का योगदान 80 प्रतिशत का है। उसने कहा है कि देश में मल्टीप्लेक्सों की संख्या में इजाफा हो रहा है। भारत में फिलहाल स्क्रीन की संख्या काफी कम है। यहां 10 लाख लोगों पर 12 स्क्रीन हैं, जबकि अमेरिका में प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 117 स्क्रीन हैं। चैंबर का मानना है कि फिल्म उद्योग को हर साल पायरेसी की वजह से 300 से 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
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